गोरखपुर में डेंगू का कहर, सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या 160 के पार

Gorakhpur में डेंगू का कहर जारी है। जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 160 के पार हो गई है।
गोरखपुर में डेंगू के बढ़ते मामलों से दहशत का माहौल है। सोमवार को जिले में डेंगू के 10 और नए मामले सामने आए, जिससे संक्रमित लोगों की संख्या 160 हो गई। सरकारी अस्पतालों में बेड मरीजों से भरे हुए हैं। जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में 18 बेड हैं और फिलहाल सभी भरे हुए हैं। ऐसे में नए मरीजों को जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती करना पड़ रहा है। बिछिया, पादरी बाजार और बेतियाहाता में एक-एक व्यक्ति में डेंगू का संक्रमण पाया गया है।

Filthy conditions in city lead to health concerns

जानकारी के मुताबिक, जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती पांच मरीजों की एलाइजा जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज में 19 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से तीन गोरखपुर के हैं। मेडिकल कॉलेज में 12 बेड का डेंगू वार्ड था, लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने पर इसे बढ़ाकर 24 बेड कर दिया गया। गोरखपुर के टीवी हॉस्पिटल में डेंगू के मरीजों को भर्ती करने के लिए डेंगू वार्ड भी बनाया गया है। इस अस्पताल में 50 बेड का डेंगू वार्ड है, लेकिन टीवी अस्पताल के डेंगू वार्ड में सिर्फ 7 मरीज ही भर्ती हैं। यहां 18 डॉक्टर और 50 कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन कम प्लेटलेट्स वाले मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। क्योंकि इस अस्पताल में अभी भी कई सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

City streets littered with garbage and debris

इस खबर पर गौर करने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे पहले तो स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों पर ही सवाल उठते हैं। डेंगू के सीजन के लिए स्वास्थ्य विभाग को पहले से तैयारी करनी चाहिए थी। पर ऐसा हुआ नही, इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डेंगू फैलने के लिए मौसम को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार गर्मी और बारिश के कारण ज्यादा मच्छर मौजूद हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी डेंगू फैलने का एक बड़ा कारण है।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू के प्रकोप को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। न ही लोगों को डेंगू के प्रति जागरूक करने के लिए कोई प्रभावी अभियान चलाया गया है। जो कुछ भी हुआ है, उसमें आधे से ज्यादा काम सिर्फ कागजों पर ही हुआ है। इस कारण लोगों को डेंगू से बचाव के उपायों के बारे में ठीक से जानकारी भी नहीं है। डेंगू के बढ़ते मामलों पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा था, ''स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है, हमने अलीगढ़, बरेली और गोरखपुर मंडलों की समीक्षा की है, अस्पतालों में बेड और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।" लेकिन बढ़ाते मरीजों की संख्या कुछ और ही बता रही है।

garbage and debris

गोरखपुर शहर में मच्छरों के पनपने  के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हैं। आज भी शहर के कुछ हिस्सों में पानी भर जाता है, जिससे मच्छरों को पनपने का माहौल मिल रहा है। कभी-कभार गोरखपुर नगर निगम के कर्मचारी शहर में फॉगिंग करते नजर आते हैं, लेकिन ऐसा नियमित तौर पर कागजों पर ही होता है। एंटीलार्वा का छिड़काव भी व्यापक रूप से नहीं किया जा रहा है। शहर में नालों में बैठी गंदगी इस खतरे को और बढ़ा रही है। वहीं दूसरी ओर जनता में भी जागरूकता की कमी है। सरकारी विज्ञापनों पर इतना खर्च करने के बावजूद लोगों ने अपने घरों में मच्छरों को पनपने के लिए कई इंतजाम कर रखे हैं। वे अपने घरों में पानी जमा होने से नहीं रोक रहें जिससे मच्छर पनप रहे हैं और डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं।

शहर में मच्छरों के पनपने से रोकने और लोगों में डेंगू के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाना चाहिए। नालों की सफाई और गंदगी के निस्तारण के लिए पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएं नहीं हैं। अक्सर नालियों से कूड़ा निकालकर सड़क पर छोड़ दिया जाता है। शहर में स्वच्छता सुविधाओं में भी सुधार की जरूरत है।

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