गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने हाल ही में ईडब्ल्यूएस आरक्षण, फीस और सीटों को लेकर अहम फैसले लिए हैं। गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में ईडब्ल्यूएस आरक्षण और फीस बढ़ोतरी को लेकर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इन समस्याओं के समाधान के लिए कुलपति प्रो.पूनम टंडन, पूर्व कुलपति प्रो.राजेश सिंह ने पिछले निर्णयों में संशोधन कर नए नियम लागू किए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने बढ़ी हुई फीस को कम करने और उपलब्ध सीटों की संख्या बढ़ाने का भी निर्णय लिया है।
जानकारी के मुताबिक ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने के समय करीब सभी पाठ्यक्रम में 25 प्रतिशत सीट वृद्धि की गई थी। उस समय के तत्कालीन कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने उस व्यवस्था को रद करने का फरमान जारी कर दिया था। ईडब्ल्यूएस कोटे की 10 प्रतिशत सीटें तो यथावत रखी गईं लेकिन उसके बाद 10 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश नीलामी के जरिये देने का निर्णय लिया गया था, जिसको लेकर छात्र लगातार आंदोलित थे।
इसके अलावा, गोरखपुर विश्वविद्यालय में संचालित स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रमों में नामांकित पूर्व छात्रों को बढ़ी हुई फीस का भुगतान करने से छूट दी जाएगी। हालाँकि, ये नियम नए छात्रों पर लागू नहीं होते हैं, जिन्हें निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा। परिणामस्वरूप, कुछ नए छात्र अपना असंतोष व्यक्त कर रहे हैं।
फिर भी, सशुल्क सीटों के फायदे और नुकसान दोनों हैं। इसके अलावा, 10 प्रतिशत सीटों की नीलामी के नियम को भी रद्द कर दिया गया, जिसके लिए भुगतान की आवश्यकता थी, और यह निर्धारित किया गया कि प्रवेश नियमित शुल्क पर लिया जाएगा। इसके अलावा, स्नातक और स्नातकोत्तर के एक ही विषय में सीटों की संख्या 25 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। कार्यकारी परिषद् द्वारा वित्त समिति की स्वीकृति प्रदान कर क्रियान्वित कर दी गयी है।
शुक्रवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय में वित्त परिषद और कार्य परिषद के साथ कुलपति ने पूनम टंडन के नेतृत्व में बैठक की। इन बैठकों के दौरान उन्होंने छात्रों के आंदोलनों और प्रस्तावित समाधानों पर चर्चा की। परिणामस्वरूप, छात्रों के लाभ के लिए नियमों में बदलाव किए गए। इसके अतिरिक्त, वित्त समिति ने तीसरे, पांचवें, सातवें और नौवें सेमेस्टर के छात्रों के साथ-साथ स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रमों में पीएचडी छात्रों के लिए शुल्क वृद्धि को वापस लेने की मंजूरी दे दी।