एम्स गोरखपुर में मरीजों और डॉक्टरों को परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। तहसीलदार सदर दीपक सिंह के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की टीम ने कैंटीनों पर छापेमारी की और बिना लाइसेंस के संचालन और स्वच्छता मानकों का उल्लंघन करने पर पांच कैंटीनों को सील कर दिया।
एम्स के मरीजों ने भोजन में कीड़े और कैंटीन में एक्सपायरी बिस्किट और नमकीन मिलने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद उपजिलाधिकारी और खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने परिसर में संचालित पांच कैंटीनों पर छापेमारी की। इन कैंटीनों में हर जगह स्वच्छता मानकों का उल्लंघन पाया गया। प्रशासन ने सभी कैंटीनों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया।
टीम द्वारा की गई जांच के दौरान कैंटीन में फर्श पर पॉलीथिन में गूंथा हुआ आटा रखा मिला। बुधवार को मिली शिकायतों में बताया गया कि पराठों में कीड़े थे और एक्सपायरी नमकीन बेची जा रही थी।
जांच टीम ने कैंटीनों से आटा, पनीर, मसाला और तैयार ग्रेवी के नमूने लिए और उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया। खाद्य सुरक्षा टीम ने मौके पर कैंटीन संचालन के दस्तावेज मांगे, लेकिन प्रबंधक द्वारा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जा सके। टीम को जानकारी मिली कि ये कैंटीन दिल्ली के लाइसेंस पर चलाई जा रही थीं।
बिना लाइसेंस के चल रही इन पांचों कैंटीनों को अगले आदेश तक सील कर दिया गया है। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी एचएम त्रिपाठी ने कैंटीन प्रबंधक और कर्मचारियों की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। कैंटीन के अधिकांश कर्मचारी अप्रशिक्षित पाए गए, जिसके चलते और सख्त कार्रवाई की संभावना है।
एम्स के मीडिया प्रभारी डॉ. अरूप मोहंती ने बताया कि कैंटीनों का निरीक्षण किया गया है और कई तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। कैंटीनों को बंद करा दिया गया है और सभी नमूने जांच के लिए भेज दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि एम्स प्रशासन भी अपने स्तर पर कार्रवाई करेगा और दोषी फर्म के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अचानक हुई इस कार्रवाई के बाद अस्पताल के डॉक्टरों और तीमारदारों को भोजन और पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा। खासकर रात की ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा, क्योंकि सभी कैंटीन बंद थीं।
प्रशासन द्वारा की गई इस सख्त कार्रवाई के बाद अब जांच के नतीजों का इंतजार है, जो तय करेंगे कि भविष्य में कैंटीनों का संचालन बेहतर हो पाएगा या नहीं।