गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक ढांचे में बड़ा बदलाव करते हुए छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए नई पहल की है। अब विश्वविद्यालय "प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस" की नियुक्ति करेगा, जिसका उद्देश्य छात्रों को न केवल सैद्धांतिक शिक्षा देना है, बल्कि उन्हें उद्योग की वास्तविक मांगों के अनुसार तैयार करना भी है। उम्मीद है कि इस कदम से छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे।
शिक्षा के साथ रोजगार पर भी फोकस
अक्सर देखा जाता है कि विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करने के बाद भी छात्रों को रोजगार मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण उद्योग से संबंधित प्रशिक्षण का अभाव है। जब भी विश्वविद्यालय के बाहर से विशेषज्ञ बुलाए जाते हैं, तो वे सीमित समय में केवल सामान्य प्रशिक्षण ही दे पाते हैं। इससे छात्रों को उद्योग की वास्तविक चुनौतियों के लिए तैयार करना मुश्किल हो जाता है।
"प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस" की भूमिका
इस समस्या के समाधान के लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय ने नियमित रूप से अनुभवी उद्योग विशेषज्ञों को "प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस" के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है। इन प्रोफेसरों का मुख्य उद्देश्य छात्रों को उद्योग की मांगों के अनुसार प्रशिक्षित करना होगा, ताकि वे शैक्षणिक और व्यावसायिक दोनों क्षेत्रों में बेहतर तरीके से तैयार हो सकें। यह पहल छात्रों को उद्योग की आवश्यकताओं को समझने और उस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करेगी।
रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
गोरखपुर विश्वविद्यालय की इस नई पहल के तहत छात्रों को विश्वविद्यालय में ही आवश्यक प्रशिक्षण मिलेगा, जो उन्हें उद्योग में काम करने के लिए तैयार करेगा। इससे उन्हें अपने कौशल को निखारने और बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त करने में मदद मिलेगी। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन का मानना है कि यह कदम छात्रों के करियर को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि उन्हें सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव भी मिलेगा।