मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह में डॉ. पद्मजा सिंह द्वारा लिखित पुस्तक 'नाथपंथ का इतिहास' का विमोचन किया। यह पुस्तक नाथपंथ की गहन और विस्तृत समझ प्रस्तुत करती है, जिसे इतिहास के शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विमोचन
पुस्तक का विमोचन 'सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण में नाथपंथ का योगदान' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया। उन्होंने नाथपंथ के ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महायोगी गोरखनाथ ने नाथपंथ के माध्यम से सामाजिक पुनर्जागरण का कार्य किया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी मौजूद रहे।
प्रामाणिक स्रोतों पर आधारित पुस्तक
डॉ. पद्मजा सिंह ने इस पुस्तक में नाथपंथ के इतिहास को प्रामाणिक स्रोतों के आधार पर प्रस्तुत किया है। उन्होंने देश भर में फैले ऐतिहासिक स्रोतों को संकलित कर उनकी तथ्यात्मक व्याख्या की है। पुस्तक के बारे में उन्होंने कहा, "इससे नाथपंथ से जुड़े रहस्यों का पता चलता है और यह शोधकर्ताओं के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी।" पुस्तक की प्रस्तावना डॉ. प्रदीप राव ने लिखी है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक दृष्टि से नाथपंथ को समझने का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया। उनके अनुसार भक्ति आंदोलन के विकास में नाथपंथ की परंपराओं और योग साधना की महत्वपूर्ण भूमिका है।
नाथपंथ का ऐतिहासिक महत्व
नाथपंथ की शुरुआत आदिनाथ शंकर से मानी जाती है, जबकि महायोगी गोरखनाथ ने इसे वर्तमान स्वरूप दिया। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है और उन्होंने नाथपंथ के माध्यम से सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना का नेतृत्व किया। इस पुस्तक में नाथपंथ के विकास और समाज पर इसके प्रभाव का विस्तार से वर्णन किया गया है। नाथपंथ के अनुयायियों के लिए गोरखनाथ मंदिर सर्वोच्च स्थान रखता है और वर्तमान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर और नाथपंथ के प्रमुख हैं। पुस्तक में यह भी बताया गया है कि किस तरह नाथपंथ के योगियों ने समाज और राष्ट्र के पुनरुत्थान में अपनी भूमिका निभाई।
समाज में नाथपंथ का योगदान
नाथपंथ के इतिहास को समेटे इस पुस्तक में बौद्ध, जैन, शैव, वैष्णव तथा अन्य भारतीय धार्मिक धाराओं के साथ-साथ नाथपंथ के उत्थान और विस्तार का प्रामाणिक वर्णन है। इसमें महायोगी गोरखनाथ के सामाजिक पुनर्जागरण अभियान तथा नाथपंथ के योगियों द्वारा समाज सुधार के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला गया है।
अंत मे
डॉ. पद्मजा सिंह की पुस्तक 'नाथपंथ का इतिहास' नाथपंथ के अध्ययन तथा भक्ति आंदोलन में इसके योगदान को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कृति है। यह पुस्तक न केवल नाथपंथ के रहस्यों को उजागर करती है, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए इसके ऐतिहासिक महत्व पर भी प्रकाश डालती है।